एक शख़्स मन्नत मानता है कि किसी ख़ास वक़्त पर कोई इबादत अंजाम देगा (मिसाल के तौर पर किसी ख़ास दिन रोज़ा रखेगा या एक ख़ास वक़्त पर नमाज़ पढ़ेगा)लेकिन किसी भी वजह से, जान बूझकर या भूले से उस मन्नत पर अमल नहीं करता तो क्या उस मन्नत की क़ज़ा है?

Question

बिल्डिंग में रहने वाले कुछ लोग, बिल्डिंग के उस हिस्से को इस्तेमाल करते हैं जिस पर सबका हक़ होता है लेकिन दूसरे रहने वाले इसके इस्तेमाल पर राज़ी नहीं होते, क्या इस तरह का इस्तेमाल सही है?

Question

अगर रोज़ेदार ने मग़रिब के वक़्त किसी जगह रोज़ा इफ़्तार कर लिया हो और फिर वो किसी ऐसी जगह सफ़र कर जाए जहाँ अभी मग़रिब का वक़्त न हुआ हो तो उसके रोज़े का क्या हुक्म है?

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