मैं बालिग़ हो चुका हूं और मेरी ख़ालाज़ाद और मामूज़ाद बहनें पर्दे का ख़याल नहीं रखतीं। उनसे बात करता हूं तो उनके बाल नज़र आते हैं। मैं क्या करूं? अगर बात करूं और उनकी तरफ़ न देखूं तो वे इसे तौहीन समझती हैं और नाराज़ हो जाती हैं, मुझे क्या करना चाहिए?
Question
जवाब ( 1 )
ना महरम ख़ातून को देखना जायज़ नहीं है। सिर्फ़ चेहरा और कलाई तक हाथ खुले रह सकते हैं। वह भी इस शर्त के साथ कि मेकअप न हो और लज़्ज़त की नज़र से न देखा जाए। अगर अम्र बिलमारूफ़ और नहि अनिल मुनकर की शर्तें मुहैया हैं तो अदब के दायरे में रहते हुए अम्र बिलमारूफ़ और नहि अनिल मुनकर करना ज़रूरी है।
हवाला : आयतुल्लाह खामेनेई की वेबसाइट : https://khamenei.ir