जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    अगर कोई इंसान किसी ऐसे आदमी के साथ जीने और ताल्लुक़ात रखने के लिए मजबूर हो और समय समय पर उसकी मदद भी करता हो जो नमाज़ नहीं पढ़ता तो उसकी ज़िम्मेदारी है कि अम्र बिलमारूफ़ और नही अज़ मुनकर के शरायत पाए जाने पर इस वज़ीफ़े पर अमल करे. इसके अलावा इस आदमी की कोई और ज़िम्मेदारी नहीं है.
    उसकी मदद या उस से ताल्लुक़ात रखने के कारण अगर नमाज़ छोड़ने के लिए उसकी हौसला अफ़ज़ाई न हो रही है तो इस में कोई हरज नहीं है.

    हवाला :
    तालीमे अहकाम, अम्र बिल मारूफ व नही अज़ मुनकर, पेज 442

    आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई

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