जवाब ( 1 )

  1. जिन चीज़ों पर सजदा सही है।

    1. ज़मीन

    2. या ज़मीन से उगने वाली चीज़ें :
    तीन शर्तों के साथ
    *खाई न जाती हो।
    *पहनी न जाती हो।
    *खनिज में से न हो

    1. वाजिब है सजदा ज़मीन पर हो या ज़मीन से उगने वाले ऐसे पौधों या पत्तियों पर जो खाई न जाती हों जैसे पत्थर, मिट्टी, लकड़ी, पेड़ों के पत्ते आदि। लेकिन जो चीज़ें खाई या पहनी जाती है चाहे ज़मीन से उगने वाली ही क्यूं न हों जैसे रूई, गेहूँ या खनिज जिनकी गिनती ज़मीन में नहीं होत जैसे मेटल्स, शीशा आदि तो उन पर सजदा सही नहीं है।

    2. मरमर या दूसरे पत्थर जो बिल्डिंग बनाने या उसकी सजावट में इस्तेमाल होते हैं उन पर सजदा सही है इसी तरह अक़ीक़, फ़िरोज़ा और दुर्रे नजफ़ पर भी सजदा सही है एहतियाते (मुस्तहब) यह है कि अक़ीक़, फ़िरोज़ा आदि पर सजदा न किया जाए।

    3. वह चीज़ें जो ज़मीन से उगती हैं और केवल जानवर उन्हें खाते हैं उन पर सजदा सही है जैसे घास, भूसा।

    4. एहतियाते वाजिब की बिना पर चाय के हरे पत्ते पर सजदा सही नहीं है लेकिन काफ़ी के पत्तों पर कि जिसका खाने में इस्तेमाल नहीं होता सजदा सही है।

    5. ऐसे फूलों पर जिन्हें खाया नहीं जाता या जड़ी बूटियों पर जिन्हें केवल बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है सजदा करना सही है जैसे वाइला, होलीहाक के फूल। लेकिन ऐसी जड़ी बूटियां जो इलाज के अलावा दूसरे मेडिकल गुणों की वजह से खाई भी जाती हैं जैसे ख़ाकशीर, (ऐसी प्राकृतिक बूटी है जिसके दाने लाल और पोस्ता के जैसे होते हैं) पर सजदा सही नहीं है।

    6. वह पेड़ पौधे जिनको कुछ इलाक़ों में खाया जाता हो या किसी इलाक़े के केवल कुछ लोग खाते हों लेकिन दूसरी जगह वह पौधे खाने में इस्तेमाल न किए जाते हों तो उनको भी खाने वाली चीज़ों में गिना जाएगा और उन पर सजदा सही नहीं है।

    7. ईंटा, ठीकरा, चूना पत्थर और सीमेंट पर सजदा सही है।

    8. लिनन और रूई के अलावा लकड़ी और पेड़ पौथों से बने हुए काग़ज पर सजदा करना सही है।

    9. अगर कोई ऐसी चीज़ न हो कि जिस पर सजदा करना सही है या सर्दी या गर्मी की वजह से उन पर सजदा न कर सकता हो तो अगर उसका कपड़ा लिनन या रूई का हो या लिनन व रूई की कोई चीज़ उसके पास हो तो उस पर सजदा सही है और एहतियाते (वाजिब) यह है कि जब तक लिनन या रूई से बने हुए कपड़े पर सजदा करना मुमकिन हो दूसरी तरह के कपड़ों पर सजदा न करे और अगर यह भी मुमकिन न हो तो एहतियाते वाजिब की बिना पर अपनी हथेली के पिछले हिस्से पर सजदा करे।

    10. अगर नमाज़ के बीच ऐसी कोई चीज़ खो जाए कि जिस पर सजदा कर रहा था और कोई ऐसी चीज़ भी मौजूद न हो कि जिस पर सजदा करना सही है तो अगर वक़्त में गुँजाइश हो तो नमाज़ को तोड़ दे और अगर वक़्त तंग हो तो पिछले मसअले की तरतीब पर अमल करे।

    11. जहाँ नमाज़ी के लिए तक़य्या करना ज़रूरी है वहाँ क़ालीन या उस जैसी चीज़ों पर सजदा कर सकता है और नमाज़ के लिए दूसरी जगह जाना ज़रूरी नहीं है लेकिन अगर उसी जगह किसी परेशानी में पड़े बिना चटाई या पत्थर पर सजदा मुमकिन हो तो वाजिब है उन चीज़ों पर सजदा करे।

    12. अगर पहले सजदे में सजदेगाह माथे से चिपक जाए तो दूसरे सजदे के लिए सजदेगाह को अलग करना ज़रूरी है और अगर अलग न करे बल्कि उसी तरह सजदे में चला जाए तो नमाज़ का सही होना मुश्किल है।

    सबसे अच्छा सजदा वह है जिसे मिट्टी और ज़मीन पर किया जाए जो अल्लाह तआला की बारगाह में ख़ुजूअ व ख़ुशूअ (विनम्रता और गिड़गिड़ाने) की निशानी है और फ़ज़ीलत व श्रेष्ठता के हिसाब से इमाम हुसैन अ. की पाक तुरबत “ख़ाके शिफ़ा” से बढ़कर कोई मिट्टी नहीं हो सकती है।

Leave an answer

Browse

By answering, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.