जवाब ( 1 )

  1. जिस शख़्स पर किसी नमाज़ की क़ज़ा (वाजिब) हो वह मुस्तहब नमाज़ पढ़ सकता है।

    हवाला :  तौजीहुल मसाइल, आयतुल्लाह सीस्तानी, मसला 1382

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