जवाब ( 1 )

  1. जिस शख़्स पर किसी नमाज़ की क़ज़ा हो जाए ज़रूरी है कि उसकी क़ज़ा पढ़ने में कोताही न करे अलबत्ता उसका फ़ौरन पढ़ना वाजिब नहीं है।

    हवाला :  तौजीहुल मसाइल, आयतुल्लाह सीस्तानी, मसला 1381

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