जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
    अगर वालिद ने माहे मुबारक रमज़ान के रौज़ों के अलावा कोई दूसरा वाजिब रोज़ा जैसे नज़्र का रोज़ा न रखा हो, या किसी और से इजारे पर रोज़े लिए हों और उन्हें न रखा हो तो इस की क़ज़ा बड़े बेटे पर लाज़िम नहीं है.

    हवाला: तौज़ीहुल मसाएल जामेअ, मसला नंबर 2095, आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी
    https://www.sistani.org/urdu/book/26352/4398/

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