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क्या इमाम हुसैन की मजलिस में खाना खिलाने या तबर्रूक तैयार करने के लिए ऐसे लोगों के पैसों या चीज़ों का इस्तेमाल जायज़ है जो ख़ुम्स न निकालते हों या जिनके माल के हलाल होने में शक हो?
कभी कभी कारीगर काम करते वक़्त मज़दूरी की बात नहीं करता और काम लेने वाला भी काम के बाद कारीगर की मज़दूरी के मुतालबे को ज़्यादा समझता है और क़ुबूल नहीं करता, ऐसी हालत में क्या हुक्म है?
क्या ज़ोहर और अस्र की नफल सफर मे पढ़ सकते हैं ?
क्या नफ़ल नमाज़े बैठ कर पढ़ी जा सकती हैं ?
नमाज़े शब की 11 रकअतों को किस नीयत से अदा करेगा ?
मुस्तहब नमाज़े कौन सी हैं ?
कोई मुसलमान मज़ाक और मसखरे पन मे या कोई काफिर सलाम करे तो क्या जवाब देना वाजिब होगा ?
कभी कभी मस्जिद में सज्दागाह हाथ से छूटकर टूट जाती है या मस्जिद की सफाई के दौरान ही किसी सामान को नुक़सान पहुंच जाता है तो क्या ऐसी स्थिति में हम इस नुक़सान के ज़िम्मेदार हैं?
अगर कोई नमाज़ पढ़ने वाले को गलत अंदाज़ से सलाम करे तो क्या जवाब देना वाजिब है ?
अगर कोई किसी निर्धारित दिन मिसाल के तौर पर पहली रजब को हर हाल में यहाँ तक कि सफ़र की हालत में रोज़ा रखने की मन्नत मान ले तो इसका क्या हुक्म है?