जवाब ( 1 )

  1. ज़ोहर और अस्र की नफ़्ली नमाज़ें सफ़र में नहीं पढ़नी चाहियें और अगर इशा की नफ़्लें रजा की नीयत से पढ़ी जाए तो कोई हरज नहीं है।

    हवाला : तौज़ीहुल मसाइल, आयतुल्लाह सीस्तानी, मसला 775.

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