जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    जिस तरह अल्लाह चेहरा नहीं रखता, हाथ नहीं रखता, आँख,कान, जिस्म नहीं रखता, बाल बच्चे नहीं रखता…लेकिन इसके बावजूद बहुत ज़्यादा ख़ुलूस और अल्लाह की ज़ात में ख़ुद को मिटा देने की वजह से अल्लाह के ख़ास बन्दे, अवलियाए इलाही को यह सम्मान हासिल है कि उन्हें यदुल्लाह,ऐनुल्लाह, वजहुल्लाह, नफ़्सुल्लाह, आलुल्लाह…जैसे अलक़ाब से याद किया जाता है, उसी तरह से इमाम हुसैन अ. “सारुल्लाह” हैं क्योंकि आप एक तरफ़ आलुल्लाह हैं और आपके ख़ून का वारिस ख़ुद अल्लाह है इसलिए इमामे हुसैन अ. के ख़ूने नाहक़ का बदला ख़ुदा ही लेगा और इसीलिए आप “सारुल्लाह” हैं.

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