जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रही
    अव्वले वक़्त से नमाज़े मग़रिब पढ़ने के बाद नमाज़े इशा का वक़्त शुरू होता है. और इसका वक़्त शरय तौर पर आधी रात तक है. मग़रिब और इशा की नमाज़ को शरई तौर पर आधी रात से ज़्यादा ताख़ीर करना जाएज़ नहीं है. अगर किसी मुश्किल के सबब या गुनाह करते हुए आधी रात के बाद तक नमाज़े मग़रिब और इशा न पढ़े तो एहतियात की बिना पर अज़ाने सुबह तक नमाज़े इशा को अदा और क़ज़ा की नीयत के बग़ैर (मा फ़िज़्ज़िम्माह) की नीयत से पढ़े.

    हवाला: https://www.sistani.org/urdu/book/26352/4315

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