जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    ना बालिग़ बच्चे के माल जैसे (खदान और वो हलाल माल जो हराम में मिल जाए ) इस में ख़ुम्स वाजिब है और बच्चे के वली पर वाजिब है कि उसका ख़ुम्स अदा करे मगर उसके कारोबार से हासिल होने वाले फायदे और उसकी कमाई के लाभ पर ख़ुम्स वाजिब नहीं है.
    बल्कि एहतियात की बिना पर बालिग़ होने के बाद इस बच्चे पर वाजिब है कि अगर उसके बालिग़ होने तक उसके माल में फायदा बाक़ी रहे तो उसका ख़ुम्स अदा करे.

    हवाला: फ़िक़्ही मसाएल का मजमूआ, बहस ख़ुम्स, आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी ख़ामेनई , मसला 1069

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