जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    अगर उसके आमाल एहतियात, हक़ीक़त या उस मुज्तहिद के फ़तवों के मुताबिक़ हों, जिसकी तक़लीद उस पर वाजिब थी तो उसके आमाल सही हैं और अगर उसके आमाल में कमी पाई जाती थी तो अगर वह कमी ऐसे वाजिबात में नहीं थी जो रुक्न हैं और अमल करने वाला जाहिले क़ासिर (जिसने मस’अला जानने में कोताही न की हो) था तब भी कोई हर्ज नहीं है. अगर वह जाहिले मुक़स्सिर (जिसने मस’अला जानने में कोताही की हो) था और कमी ऐसे आमाल में थी कि न जानने की सूरत में अगर उनमें ग़लती हो जाये तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता जैसे नमाज़ में सूरों को धीमी की जगह तेज़ आवाज़ में पढ़ना या इसके उलटा; तब भी कोई हर्ज नहीं है. सिवाए कुछ जगहों के कि जिनका ज़िक्र मुफ़स्सल किताबों में है.

    इस्तेफ़्ताआत आयतुल्लाह ख़ामेनई, सवाल न. 7,एहतियात,इज्तेहाद और तक़लीद

    http://www.leader.ir

    तौज़ीहुल मसाएल फ़ारसी, आयतुल्लाह सीस्तानी, मसाएले तक़लीद, मस’अला न. 12

    https://www.sistani.org

Leave an answer

Browse

By answering, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.