जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
    जिहाद से मुराद इस्लाम की दावत, तब्लीग़ और तरवीज के लिए सई और कोशिश करना या दुश्मनों के हमले के मुक़ाबले अपनी हिफाज़त करना है.

    जिहाद दीन का एक अहम् हिस्सा है और जिहाद का वाजिब होना दीने इस्लाम की ज़रुरियात में शामिल है.

    हवाला : आयतुल्लाह ख़ामेनई, तालीमे अहकाम, बहस जिहाद, अध्याय सात, पेज 422

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