जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    इस बारे में आयतुल्लाह ख़ामेनई फ़रमाते हैं कि मुद्दतदार चेक को उस पर दर्ज क़ीमत से कम या ज़्यादा क़ीमत में किसी दूसरे को बेचना जाएज़ है और इसमें कोई हर्ज नहीं है लेकिन किसी से क़र्ज़ लेकर उसके बदले उससे ज़्यादा क़ीमत का मुद्दतदार चेक देना सूद वाला क़र्ज़ और हराम है हालाँकि बईद नहीं है कि अस्ले क़र्ज़ सही हो. इसी तरह किसी तीसरे शख़्स को कम क़ीमत में चेक बेचना जाएज़ नहीं है, हालाँकि मक़रूज़ (जिसके ऊपर क़र्ज़ है) को बेचना जाएज़ है.

    आयतुल्लाह सीस्तानी का नज़रिया यह है कि अगर चेक उस क़र्ज़ की वसूली का है जो चेक के मालिक को किसी दूसरे से वसूल करना है तो उसे दर्ज क़ीमत से कम पर नक़द बेचने में कोई हर्ज नहीं है.

    Sistani.org

    islamquest.net

    Hadana.ir

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