जवाब ( 1 )

  1. एहतियात यानि इस तरह इस्लामी अहकाम को अंजाम दिया जाए कि शरई ज़िम्मेदारी अदा होने का इत्मीनान हासिल हो जाए जैसे उस काम को अंजाम न दे जिसे कुछ मुज्तहिद हराम कहते हैं और दूसरे कुछ मुज्तहिद हराम नहीं मानते। और इसी तरह जिस अमल को कुछ मुज्तहिद वाजिब कहते हैं और कुछ दूसरे वाजिब नहीं जानते उसे अंजाम दे। (ताकि उसे इत्मीनान हासिल हो जाए कि उसने अपनी शरई ज़िम्मेदारी पूरी कर दी है।)

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