जवाब ( 1 )

  1.  हर चीज़ की नजासत तीन तरीक़ों से साबित होती हैः-

    1. ख़ुद इन्सान को यक़ीन या इत्मीनान हो कि फ़लां चीज़ नजिस है। अगर किसी चीज़ के मुतअल्लिक़ महज़ गुमान हो कि नजिस है तो उससे परहेज़ करना लाज़िम नहीं। लिहाज़ा क़हवा ख़ानों और होटलों में जहां लापरवाह लोग और ऐसे लोग खाते पीते हैं जो नजासत और तहारत का लिहाज़ नहीं करते खाना खाने की सूरत यह है कि जब तक इन्सान को इत्मीनान न हो कि जो खाना उसके लिये लाया गया है वह नजिस नहीं है, उसके खाने में कोई हरज नहीं।

    2. किसी के पास कोई चीज़ हो और वह उस चीज़ के बारे में कहे कि नजिस है और वह शख़्स ग़लत बयानी न करता हो मसलन किसी शख़्स की बीवी या नौकर या मुलाज़िम कहे कि बर्तन या कोई दूसरी चीज़ जो उसके पास है नजिस है तो वह नजिस शुमार होगी।

    3. अगर दो आदिम आदमी कहें कि एक चीज़ नजिस है तो वह नजिस शुमार होगी बशर्ते की वह उसके नजिस होने की वजह बयान करें।

    हवाला :  तौजीहुल मसाइल, आयतुल्लाह सीस्तानी, मसला 122 

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