जवाबः
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
नहीं, (तर्जुमा पढ़ने से) सज्दा वाजिब नहीं होता।
हवाला: आयतुल्लाह ख़ामेनई की वेबसाइट www.khamenei.ir
अगर उन आयतों का तर्जुमा पढ़ें जिनमें वाजिब सज्दा है, तो क्या सज्दा वाजिब हो जाता है?
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
नहीं, (तर्जुमा पढ़ने से) सज्दा वाजिब नहीं होता।
हवाला: आयतुल्लाह ख़ामेनई की वेबसाइट www.khamenei.ir