जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    इस सवाल के बारे में मराजे एज़ाम के दफ़्तरों से निम्नलिखित जवाब हासिल हुए हैं, जिन्हें हम नीचे पेश कर रहे हैं:

    हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई (दामा ज़िल्लुहु) के दफ़्तर का जवाब

    जवाब न. 1 व 2: पूरी तरह से सहयोग करने (तमकीन) का मतलब यह नहीं है कि मर्द ग़ैर अख़लाक़ी या बहुत ज़्यादा मकरूह काम करे या अपनी बीवी को तकलीफ़ पहुँचाने वाले काम करने पर उसे मजबूर करे बल्कि इसका मतलब यह है कि मर्द जब भी चाहे अपनी बीवी से जिंसी लज़्ज़त लेने के लिए सामान्य और सही तरीक़े से फ़ायदा ले सकता है, अगर उसकी बीवी के लिए शरई और अक़्ली तौर पर कोई रुकावट न हो तो उसका पूरी तरह सहयोग करना ज़रूरी है.

    जवाब 3: अगर बीवी उपर्युक्त सहयोग न करे तो उसे अपने शौहर से नफका (जीवन यापन भत्ता) हासिल करने का हक़ नहीं है और वो गुनाहगार है.

    आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी (मुद्दा ज़िल्लुहु) के ऑफ़िस का जवाब

    पहली बात: शरई अहकाम बजा लाने के सिलसिले में एक शरई तौर पर ज़िम्मेदार इन्सान का फ़रीज़ा सारी शर्तें पाए जाने वाले आलम मुजतहिद के फ़तवे पर अमल करना है और इस बारे में तफ़सीर, शरई हुक्म बयान नहीं कर सकती.

    दूसरी बात: औरत पर वाजिब है कि शादीशुदा ज़िन्दगी के मामलात में, हमेशा अपने शौहर की जाएज़ ख़्वाहिशों को पूरा करे और इसके बारे में काफ़ी रिवायतें मौजूद हैं और सहयोग न करने की सूरत में बीवी नाशेज़ा (यानी सरकश और नाफ़रमान) शुमार होती है और उस पर नाफ़रमानी के अहकाम लागू होते हैं. इस मस’अले में विस्तृत जानकारी के लिए मराजे-एज़ाम की तौज़ीहुल मसाएल का अध्ययन किया जा सकता है.

    आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी (मुद्दा ज़िल्लुहु) के ऑफ़िस का जवाब

    पूरे सहयोग का अर्थ यह है कि बीवी को सामान्य सीमाओं में यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपने पति का सहयोग करना चाहिए लेकिन असामान्य काम जैसे बीवी के पीछे वाले अंग से संभोग करने के बारे में बीवी पर कोई ज़िम्मेदारी नहीं है और अगर बीवी सामान्य हद में अपने पति की बात न माने तब वह नाशेज़ा (नाफ़रमान) शुमार होगी.

    https://www.islamquest.net

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