तयम्मुम का क्या तरीक़ा है?
Question
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit.Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu.Fusce viverra neque at purus laoreet consequa.Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
जवाब ( 1 )
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
सारे मराजे के नज़दीक तयम्मुम चाहे ग़ुस्ल के बदले हो या वुज़ू के, चाहे मर्द करे या ख़ातून, तरीक़ा लगभग एक ही है:
वुज़ू या ग़ुस्ल के बदले किये जाने वाले तयम्मुम में चार चीज़ें वाजिब हैं:
1.नियत
2.दोनों हथेलियों को एक साथ ऐसी चीज़ पर मारना या रखना जिस पर तयम्मुम करना सही हो और एहतियाते लाज़िम की बिना पर दोनों हाथ एक साथ ज़मीन पर मारने या रखने चाहिए.
3.पूरे माथे पर दोनों हथेलियों को फेरना और इसी तरह एहतियाते लाज़िम की बिना पर उस मक़ाम से जहाँ सर के बाल उगते हैं, भवों और नाक के ऊपर तक पेशानी के दोनों तरफ़ हथेलियों को फेरना और एहतियाते मुस्तहब यह है कि हाथ भवों पर भी फेरे जाएँ.
4.बाएं हाथ की हथेली को दाहिने हाथ की पूरी पुश्त पर फेरना. उसके बाद दाहिने हाथ की हथेली को इसी तरह बाएं हाथ की पुश्त पर फेरना.
नुक्ता:
एहतियाते मुस्तहब यह है कि तयम्मुम चाहे वुज़ू के बदले हो या ग़ुस्ल के उसे तरतीब (क्रमानुसार) से किया जाये यानी यह कि एक बार हाथ ज़मीन पर मारे जाएँ और पेशानी और हाथों की पुश्त पर फेरे जाएँ और फिर एक बार ज़मीन पर मारे जाएँ और हाथों की पुश्त का मसह किया जाये.
हवाले:
Sistani.org
Leader.ir