जवाब ( 1 )

  1. 1, वक़्त का दाखिल होना जो कि ज़वाले आफ़्ताब है और उसका वक़्ते अव्वल ज़वाले उर्फ़ी है। अतः जब भी इस से ज़्यादा ताख़ीर हो जाए, उसका वक़्त ख़त्म हो जाता है और फिर ज़ोहर की नमाज़ अदा करनी चाहिये।

    2, नमाज़ पढ़ने वालों की तादाद जो कि इमाम समेत पांच लोग है और जब तक पांच मुसलमान इकट्ठे न हों जुमा की नमाज़ वाजिब नहीं होती। 

    3, इमाम का जामेए शराइत होना – मसलन अदालत वग़ैरा जो कि इमामे जमाअत में मोअतबर हैं और नमाज़े जमाअत की बह्स में बताया गया है। अगर यह शर्त पूरी न हो तो जुमा की नमाज़ वाजिब नहीं होती

    आयतुल्लाह सीस्तानी, तौज़ीहुल मसाएल, मसला 740

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