नमाज़ में बुलंद (ऊँची) आवाज़ में क़ेराअत न की जाये तो क्या हुक्म है?

Question

जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    मर्दों पर वाजिब (आयतुल्लाह सीस्तानी की नज़र में एहतियाते वाजिब) है कि वो फ़ज्र, मगरिब व इशा की नमाज़ में हम्द व दूसरा सूरह बुलंद आवाज़ में पढ़ें लेकिन अगर भूले से या मस’अला न जानने की वजह से आहिस्ता पढ़ लें तो नमाज़ सही है और अगर जान बूझकर आहिस्ता पढ़ें तो (एहतियाते वाजिब की बिना पर)* नमाज़ बातिल है.

    इस्तेफ़्ता’आत आयतुल्लाह ख़ामेनई, नमाज़ के अहकाम में क़ेराअत और उसके अहकाम,सवाल न. 118

    https://www.leader.ir/ur/book/145/%D8%A7%D8%AD%DA%A9%D8%A7%D9%85-%D9%86%D9%85%D8%A7%D8%B2

    तौज़ीहुल मसाएल आयतुल्लाह सीस्तानी, मस’अला न. 978 व 981

    https://www.sistani.org/urdu/book/61/3637/

Leave an answer

Browse

By answering, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.