जवाब ( 1 )

  1. 1. नीयत

    2. तक्बीरतुल एहराम (यानी नमाज़ शुरू करते वक़्त अल्लाहो अक्बर कहना)।

    3. रूकू से मुत्तसिल क़याम यानी रूकू में जाने से पहले खड़ा होना।

    4. रूकू।

    5. हर रक्अत में दो सज्दे। और जहां तक ज़्यादती का तअल्लुक़ है अगर ज़्यादती अमदन हो तो बग़ैर किसी शर्त के नमाज़ बातिल है। और अगर ग़लती से हुई हो तो रूकू में या एक ही रक्अत के दो सज्दों में ज़्यादती से एहतियाते लाज़िम की बिना पर नमाज़ बातिल है वर्ना बातिल नहीं।

    आयतुल्लाह सीस्तानी, तौज़ीहुल मसाएल, मसला 951.

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