जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    दूसरे गिरोह की मीरास

    जो लोग रिश्तेदारी की बिना पर मीरास पाते हैं उन का दूसरा गिरोह मरने वाले का दादा, दादी, नाना, नानी, भाई और बहने हैं और अगर उसके भाई बहनें न हों तो उनकी औलाद मीरास पाती है।

    1. अगर मरने वाले का वारिस केवल एक भाई या एक बहन हो तो सारा माल उस को मिलता है और अगर कई सगे भाई या कई सगी बहने हों तो माल उन में बराबर बराबर बंट जाता है और अगर सगे भाई भी हों और बहनें भी तो हर भाई को बहन से दुगना हिस्सा मिलता है। मिसाल के तौर पर अगर मरने वाले के दो सगे भाई और एक सगी बहन हो तो माल के पांच हिस्से किये जायेंगे जिन में से हर भाई को दो हिस्से मिलेंगे और बहन को एक हिस्सा मिलेगा।

    2. अगर मरने वाले के सगे भाई बहन मौजूद हों तो बाप की तरफ़ से भाई और बहनें जिन की माँ मरने वाले की सौतेली माँ हो, मीरास नहीं पाते और अगर उसके सगे भाई बहन न हों और बाप की तरफ़ से केवल एक भाई हो या बाप की तरफ़ से एक बहन हो तो सारा माल उसको मिलता है। और अगर उसके बाप की तरफ़ से कई भाई या बाप की तरफ़ से कई बहनें हों तो माल उनके बीच बराबर से बंट जाता है और अगर उसके बाप की तरफ़ से भाई भी हों और बाप की तरफ़ से बहनें भी हो तो हर भाई को बहन से दुगना हिस्सा मिलता है।

    3. अगर मरने वाले का वारिस माँ की तरफ़ से केवल एक बहन या भाई हो जो बाप की तरफ़ से मरने वाले की सौतेली बहन या सौतेला भाई हो तो सारा माल उसे मिलता है और अगर माँ की तरफ़ से कई भाई हों या माँ की तरफ़ से कई बहनें हों या माँ की तरफ़ से कई भाई और बहनें हों तो माल उन के बीच बराबर से बंट जाता है।

    4. अगर मरने वाले के सगे भाई बहनें और बाप की तरफ़ से भाई बहनें और माँ की तरफ़ से एक भाई या माँ की तरफ़ से एक बहन हो तो बाप की तरफ़ से भाई बहनों को मीरास नहीं मिलती और माल के छः हिस्से किये जाते हैं जिनमें से एक हिस्सा माँ की तरफ़ से भाई या माँ की तरफ़ से बहन को मिलता है और बाक़ी हिस्से सगे भाई बहनों को मिलते हैं और हर भाई दो बहनों के बराबर हिस्सा पाता है।

    5. अगर मरने वाले के सगे भाई बहनें और बाप की तरफ़ से भाई बहनें और माँ की तरफ़ से कई भाई बहनें हों तो बाप की तरफ़ से भाई बहनों को मीरास नहीं मिलती और माल के तीन हिस्से किये जाते हैं जिन में से एक हिस्सा माँ की तरफ़ से भाई बहनें आपस में बराबर बराबर बाँट लेते हैं और बाक़ी दो हिस्से सगे भाई बहनों को इस तरह दिये जाते हैं कि हर भाई का हिस्सा बहन से दुगना होता है।

    6. अगर मरने वाले के वारिस सिर्फ़ बाप की तरफ़ से भाई बहनें और माँ की तरफ़ से एक भाई या एक बहन हों तो माल के छः हिस्से किये जाते हैं। उन में से एक हिस्सा माँ की तरफ़ से भाई या माँ की तरफ़ से बहन को मिलता है और बाक़ी हिस्से बाप की तरफ़ से बहन भाइयों में इस तरह बांटे जाते हैं कि हर भाई को बहन से दुगना हिस्सा मिलता है।

    7. अगर मरने वाले के वारिस केवल बाप की तरफ़ से भाई बहनें और माँ की तरफ़ से कई भाई बहनें हों तो माल के तीन हिस्से किये जाते हैं। उनमें से एक हिस्सा माँ की तरफ़ से भाई बहनें आपस में बराबर बराबर बाँट लेते हैं और बाक़ी दो हिस्से बाप की तरफ़ से बहन भाइयों को इस तरह मिलते हैं कि हर भाई का हिस्सा बहन से दुगना होता है।

    8. अगर मरने वाले के वारिस केवल उसके भाई बहनें और बीवी हों तो बीवी अपनी मीरास उस तफ़्सील के साथ लेगी जो बाद में बयान की जायेगी और भाई बहनें अपनी मीरास उस तरह लेंगे जैसे कि पिछले मसाइल में बताया गया है साथ ही अगर कोई औरत मर जाए और उसके वारिस केवल उसके भाई बहनें और शौहर हों तो आधा माल शौहर को मिलेगा और बहनें और भाई उस तरीक़े से मीरास पायेंगे जिसका ज़िक्र पिछले मसाइल में किया गया है लेकिन बीवी या शौहर के मीरास पाने की वजह से माँ की तरफ़ से भाई बहनों के हिस्से में कोई कमी नहीं होगी फिर भी सगे भाई बहनों या बाप की तरफ़ से भाई बहनों के हिस्से में कमी होगी मिसाल के तौर पर अगर किसी मरने वाली औरत के वारिस उस का शौहर और माँ की तरफ़ से बहन भाई और सगे बहन भाई हों तो आधा माल शौहर को मिलेगा और अस्ल माल के तीन हिस्सों में से एक हिस्सा माँ की तरफ़ से बहन भाइयों को मिलेगा और जो कुछ बचे वह सगे बहन भाइयों का माल होगा। इस तरह अगर उस का कुल माल छः रुपये हो तो तीन रुपये शौहर को और दो रुपये माँ की तरफ़ से बहन भाइयों को और एक रुपया सगे बहन भाइयों को मिलेगा।

    9. अगर मरने वाले के भाई बहनें न हों तो उनकी मीरास का हिस्सा उनकी (यानी भाई बहनों की) औलाद को मिलेगा और माँ की तरफ़ से भाई बहनों की औलाद का हिस्सा उन के बीच बराबर से बंटता है और जो हिस्सा बाप की तरफ़ से भाई बहनों की औलाद या सगे भाई बहनों की औलाद को मिलता है उसके बारे में मशहूर है कि हर लड़का दो लड़कियों के बराबर हिस्सा पाता है लेकिन कुछ बईद नहीं है कि उनके बीच भी आपस में मीरास बराबर बराबर तक़्सीम हो और अहवत (ज़्यादा एहतियात का तक़ाज़ा) यह है कि वह मुसालहत (माल के हक़ का आपसी समझौता) की जानिब रुजूउ करें।

    10. अगर मरने वाले का वारिस केवल दादा या केवल दादी या केवल नाना या केवल नानी हों तो मरने वाले का तमाम माल उसे मिलेगा और अगर मरने वाले का दादा या नाना मौजूद हो तो उसके बाप (यानी मरने वाले के परदादा या परनाना) को मीरास नहीं मिलती और अगर किसी मरने वाले के वारिस केवल उसके दादा और दादी हों तो माल के तीन हिस्से किये जाते हैं जिन में से दो हिस्से दादा को और एक हिस्सा दादी को मिलता है और अगर वह नाना और नानी हों तो वह माल को बराबर बराबर बाँट लेते हैं।

    11. अगर मरने वाले के वारिस एक दादा या दादी और एक नाना या नानी हों तो माल के तीन हिस्से किये जायेंगे जिन में से दो हिस्से दादा या दादी को मिलेंगे और एक हिस्सा नाना या नानी को मिलेगा।

    12. अगर मरने वाले के वारिस दादा और दादी और नाना और नानी हों तो माल के तीन हिस्से किये जाते हैं जिन में से एक हिस्सा नाना और नानी आपस में बराबर बराबर बाँट लेते हैं और बाक़ी दो हिस्से दादा और दादी को मिलते हैं जिन में दादा का हिस्सा दो तिहाई होता है।

    13. अगर मरने वाले के वारिस केवल उसकी बीवी और दादा, दादी और नाना, नानी हों तो बीवी अपना हिस्सा उस तफ़्सील के मुताबिक़ लेती है जो बाद मे बयान होगी और अस्ल माल के तीन हिस्सों में से एक हिस्सा नाना और नानी को मिलता है और वह आपस में बराबर बराबर बाँट लेते हैं और बाक़ी बचने वाला माल (यानी बीवी और नाना, नानी के बाद जो कुछ बचे) दादा और दादी को मिलता है जिसमें से दादा, दादी के मुक़ाबिले में दुगना लेता है। और अगर मरने वाले के वारिस उसका शौहर और दादा या नाना और दादी या नानी हों तो शौहर को आधा माल मिलता है और दादा, नाना और दादी, नानी उन अहकाम के मुताबिक़ मीरास पाते हैं जिनका ज़िक्र पिछले मसाइल में हो चुका है।

    भाई, बहन, भाईयों, बहनों के साथ दादा, दादी या नाना, नानी और दादाओं, दादियों या नानाओं नानियों के इकठ्ठा होने की कई सूरतें हैं:

    * नाना या नानी और भाई या बहन सब माँ की तरफ़ से हों। उस सूरत में माल उन के बीच बराबर से बंट जाता है चाहे वह लिंग (पुर्लिंग और स्त्रीलिंग) के हिसाब से अलग-अलग ही हों।
    * दादा या दादी के साथ भाई या बहन बाप की तरफ़ से हों। उस सूरत में भी उन के बीच आपस में माल बराबर से बंटता है बशर्ते कि वह सब मर्द हों और या सब औरतें हों और अगर मर्द और औरतें मिलाकर हों तो फिर मर्द हर औरत के मुक़ाबिले में दुगना हिस्सा लेता है।
    * दादा या दादी के साथ भाई या बहन माँ और बाप की तरफ़ से हों उस सूरत में भी वही हुक्म है वो पिछली सूरत में है और यह जानना चाहिये कि अगर मरने वाले के बाप की तरफ़ से भाई या बहन, सगे भाई या बहन के साथ इकठ्ठा हो जायें तो सिर्फ़ बाप की तरफ़ से भाई या बहन मीरास नहीं पाते (बल्कि सभी पाते हैं)।
    * दादा, दादियां और नाना नानियां हों चाहे वह सब के सब मर्द हों या औरतें या मिली जुली हों या इसी तरह सगे भाई और बहनें हों उस सूरत में जो माँ की तरफ़ से रिश्तेदार भाई, बहन और नाने नानियां हों मीरास में उन का एक तिहाई हिस्सा है और उन के बीच बराबर से बंट जाता है। चाहे वह मर्द और औरत की हैसियत से एक दूसरे से अलग-अलग हों और उन में से जो बाप की तरफ़ से रिश्तेदार हों उनका हिस्सा दो तिहाई है जिन में से हर मर्द को हर औरत के मुक़ाबिले में दुगना मिलता है और अगर उन में कोई फ़र्क़ न हो और सब मर्द और सब औरतें हों तो फिर वह मीरास उन में बराबर बराबर बंट जाती है।
    * दादा, दादी या माँ की तरफ़ से भाई, बहन के साथ इकठ्ठा हो जायें उस सूरत में अगर बहन या भाई फ़र्ज़ कीजिये कि एक हो तो उसे माल का छठा हिस्सा मिलता है और अगर कई हों तो तीसरा हिस्सा उन के बीच बराबर बराबर बंट जाता है और जो बाक़ी बचे वह दादा या दादी का माल है और अगर दादा या दादी दोनों हों तो दादा को दादी के मुक़ाबिले में दुगना हिस्सा मिलता है।
    * नाना या नानी बाप की तरफ़ से भाई के साथ जमा हो जायें। उस सूरत में नाना या नानी का तीसरा हिस्सा है चाहे उन में से एक ही हो और दो तिहाई भाई का हिस्सा है चाहे वह भी एक ही हो और अगर उस नाना या नानी के साथ बाप की तरफ़ से बहन हो और वह एक ही हो तो वह आधा हिस्सा लेती है और अगर कई बहनें हों तो दो तिहाई लेती हैं और हर सूरत में नाना या नानी का हिस्सा एक तिहाई ही है और अगर बहन एक ही हो तो सब के हिस्से देकर मीरास का छठा हिस्सा बच जाता है और उसके बारे में एहतियाते वाजिब मुसालहत (माल के बारे में आपसी समझौता) में है।
    * दादा या दादियां हों और कुछ नाना नानियां हों और उन के साथ बाप की तरफ़ से भाई या बहन हो चाहे वह एक ही हो या कई हों उस सूरत में नाना या नानी का हिस्सा एक तिहाई है और अगर वह ज़्यादा हों तो यह उन के बीच आपस में बराबर से बंट जाता है चाहे वह मर्द और औरत की हैसियत से मिले जुले ही हों और बाक़ी बचा हुआ दो तिहाई दादे या दादी और बाप की तरफ़ से भाई या बहन का है और अगर वह मर्द और औरत की हैसियत से अलग-अलग हों तो फ़र्क़ के साथ और अगर अलग-अलग न हों तो बराबर से बंट जाता है। और अगर उन दादों, नानों या दादियों, नानियों के साथ माँ की तरफ़ से भाई या बहन हों तो नाना या नानी का हिस्सा माँ की तरफ़ से भाई या बहन के साथ एक तिहाई है जो उन के दरमियान बराबर बराबर बंट जाता है भले ही वह मर्द और औरत के हिसाब से एक दूसरे से अलग-अलग हों और दादा या दादी का हिस्सा दो तिहाई हैं जो उन के बीच फ़र्क़ की सूरत में (यानी मर्द और औरत के फ़र्क़ की सूरत में) फ़र्क़ के साथ वर्ना बराबर बराबर बंट जाता है।
    * भाई और बहनें हों जिन में से कुछ बाप की तरफ़ से और कुछ माँ की तरफ़ से हों और उन के साथ दादा या दादी हों उस सूरत में अगर माँ की तरफ़ से भाई या बहन एक हो तो मीरास में उसका छठा हिस्सा है और अगर एक से ज़्यादा हों तो तीसरा हिस्सा है जो उन के बीच बराबर बराबर बंट जाता है और बाक़ी मीरास का हिस्सा बाप की तरफ़ से भाई या बहन और दादा या दादी का है जो उन के मर्द और औरत के हिसाब से अलग-अलग न होने की सूरत में उन के बीच बराबर बराबर बंट जाता है और मिले जुले होने की सूरत में फ़र्क़ से बंटता है और अगर उन भाईयों या बहनों के साथ नाना या नानी हों तो नाना या नानी और माँ की तरफ़ से भाईयों या बहनों को मिला कर सब का हिस्सा एक तिहाई होता है और उन के बीच बराबर बराबर बंट जाता है और बाप की तरफ़ से भाईयों या बहनों का हिस्सा दो तिहाई होता है और जो उन में मर्द और औरत के हिसाब से अलग-अलग होने की सूरत में फ़र्क़ से और इख़तिलाफ़ न होने की सूरत में बराबर बराबर बंट जाता है।
    14. अगर मरने वाले के भाई या बहनें हों तो भाईयों या बहनों की औलाद को मीरास नहीं मिलती लेकिन अगर भाई की औलाद और बहन की औलाद का मीरास पाना भाईयों और बहनों की मीरास में रुकावट न हो तो फिर इस हुक्म का इतलाक़ नहीं होता। मिसाल के तौर पर अगर मरने वाले का बाप की तरफ़ से भाई और नाना हो तो बाप की तरफ़ से भाई को मीरास के दो हिस्से और नाना को एक तिहाई हिस्सा मिलेगा और उस सूरत में अगर मरने वाले के माँ की तरफ़ से भाई का बेटा भी हो तो भाई का बेटा नाना के साथ एक तिहाई में शरीक हो जाता है।
    http://alhassanain.org/hindi/?com=book&id=73

Leave an answer

Browse

By answering, you agree to the Terms of Service and Privacy Policy.