अगर ख़ुम्स अदा करना मुश्किल हो तो क्या दीनी फ़रीज़ा खत्म हो जाता है ?
Question
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit.Morbi adipiscing gravdio, sit amet suscipit risus ultrices eu.Fusce viverra neque at purus laoreet consequa.Vivamus vulputate posuere nisl quis consequat.
जवाब ( 1 )
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
सिर्फ क़ादिर न होना, ख़ुम्स अदा करना मुश्किल होना, दीनीं फ़रीज़ा साक़ित होने का सबब नहीं है. इस बिना पर वह लोग जिन पर ख़ुम्स वाजिब है और उन्होंने अभी तक ख़ुम्स अदा नहीं किया है और वह अब अदा करने से आजिज़ हैं या उनके लिए मुश्किल है तो उनके ऊपर वाजिब है कि जब भी ख़ुम्स अदा करने पर क़ादिर हों वह अपने ज़िम्मे वाजिब ख़ुम्स को अदा करें और वह ख़ुम्स के वली अम्र या उनके वकील के साथ आपसी मुसालेहत कर के अपनी हैसियत के मुताबिक़ थोड़ा थोड़ा ख़ुम्स देते रहें.
हवाला : आयतुल्लाह ख़ामेनई, फ़िक़्ही मसाएल का मजमूआ, बहस ख़ुम्स, मसला 1967