जवाब ( 1 )

  1. इस्तेख़ारा सिर्फ़ जायज़ व मुबाह काम के सिलसिले में शक व संदेह को दूर करने के लिए किया जाता है, अब चाहे शक व संदेह ख़ुद उस अमल में हो या उसे अंजाम देने के तौर तरीक़े को लेकर हो। इसलिए जिन भले कामों में शक व संदेह की कोई गुंजाइश न हो उसमें इस्तेख़ारे की भी ज़रूरत नहीं है। इसी तरह इस्तेख़ारा इंसान और उसके काम के भविष्य को जानने के लिए नहीं है।

    हवाला : आयतुल्लाह खामेनेई की वेबसाइट : https://khamenei.ir

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