औरत का मर्दों के बीच तक़रीर करना कैसा है ?

Question

जवाब ( 1 )

  1. इस बारे में सारे मराजे’अ-केराम जिनमे इमाम ख़ुमैनी (र.), आयतुल्लाह ख़ामेनई, आयतुल्लाह सीस्तानी और दूसरे मराजे’अ शामिल हैं; इन सबका नज़रिया यह है कि यह मस’अला फ़साद व बुराई होने या न होने पर डिपेंड (निर्भर) है. अगर इसमें बुराई और फ़साद हो तो यक़ीनन हराम है लेकिन अगर ऐसा नही है तो ख़ुद अपनी जगह यह काम हराम नहीं है क्योंकि वाजिब पर्दे की शर्तों में आवाज़ का पर्दा शामिल नहीं है हालाँकि मुनासिब यह है कि जहाँ तक मुमकिन हो परहेज़ करना चाहिए लेकिन जहाँ ज़रूरी हो तो वहां जनाबे फ़ातिमा स. और जनाबे ज़ैनब स. की तरह हक़ का डिफ़ेन्स करना ज़रूरी है.

    http://www.imam-khomeini.ir

    https://www.islamquest.net

    https://hawzah.net

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