जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
    अगर मुसाफिर भूल जाए कि उसकी नमाज़ क़स्र है और वह पूरी पढ़ ले तो अगर वक़्त के अंदर मुतवज्जेह हो जाए तो उसे दोबारा नमाज़ पढ़नी चाहिए लेकिन अगर वक़्त गज़र जाने के बाद ख्याल आए तो नमाज़ कि क़ज़ा करना वाजिब नहीं है.

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