जवाब ( 1 )

  1.  जब तक इंसान को यह यक़ीन न हो जाए कि मुज्तहिद का फ़त्वा बदल चुका है वह किताब में लिखे हुए फ़त्वे पर अमल कर सकता है और अगर फ़त्वे के बदल जाने का एहतिमाल हो तो छानबीन करना ज़रूरी नहीं।

    हवाला : तौजीहुल मसाएल, आयतुल्लाह सीस्तानी, मसला 6

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