जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    सिर्फ़ इस आधार पर तक़लीद को बदला नहीं जा सकता, तक़लीद आलमियत के आधार पर की जाती है, मेयार आलमियत और दूसरी शर्तें हैं यानी आप उसकी तक़लीद करें जो आपकी नज़र में आलम है और तक़लीद की दूसरी शर्तें उसमें पूरी तरह से पायी जाएँ जैसे ज़्यादा मुत्तक़ी और परहेज़गार होना.

    …अब अगर आप कुछ आयाते एज़ाम में आलमियत का एहतेमाल दे रहे हैं और बाकी शर्तें तक़लीद में वो सारे बराबर हैं, यानी सबके अन्दर आलमियत का एहतेमाल हो और परहेज़गारी व तक़वा में सब बराबर हैं तो किसी की भी तक़लीद की जा सकती हैं.

    Khamenei.ir

    Sistani.org

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