औरत के ऊपर ग़ुस्ले जिनाबत कब वाजिब होता है?
Question
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जवाब ( 1 )
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
दो तरीक़ों से (औरत या मर्द के लिए) जिनाबत हासिल होता है:
1.हमबिस्तरी और संभोग (इस तरह की मर्द के लिंग का ख़तनागाह से ज़्यादा हिस्सा औरत की योनि या पीछे वाले अंग में दाख़िल हो जाये) चाहे मनी (वीर्य) भी न निकले.
2.मनी (वीर्य) का निकलना चाहे संभोग के बिना हो और चाहे जागते में हो या सोते में, कम हो या अधिक, अपने इख़्तियार से हो या बिना इख़्तियार.(1)
अधिकतर फ़ोक़हा की नज़र में औरतों की योनि से निकलने वाला पानी, अगर शहवत (यानी जिंसी लज़्ज़त) के आख़री स्तर के साथ हो (Orgasm) तो मनी के हुक्म में है और ग़ुस्ले जिनाबत करना चाहिए.(2) व (3)
इस आधार पर, मर्द और औरत पर हर संभोग के बाद ग़ुस्ल करना वाजिब है चाहे मनी बाहर निकले या न निकले. लेकिन संभोग केवल उस समय कहा जाता है जब मर्द का लिंग औरत की योनि में या पीछे वाले हिस्से में अन्दर चला जाए वरना मनी निकले बिना, सिर्फ़ संभोग के पहले आपसी लैंगिक उत्तेजना एवं आनंददायक कार्यों या उंगली को औरत की योनि में डालने से ग़ुस्ल वाजिब नहीं होता है.
उल्लेखनीय है कि ग़ुस्ले जिनाबत स्वयं वाजिब नहीं होता बल्कि उन कामों को करने के लिए वाजिब होता है जिनके लिए तहारत शर्त है जैसे नमाज़ (वक़्त गुज़रने से पहले तक), मस्जिद में ठहरने, क़ुराने मजीद के अक्षरों को छूने के लिए इत्यादि.(4)
अंतिम बिंदु यह है कि वीर्य निकलने के बाद (5),ग़ुस्ल से पहले दोबारा हमबिस्तरी और संभोग मकरूह है (6) लेकिन इसका मकरूह होना वुज़ू करने से भी ख़त्म हो जाता है. (7)
हवाले:
1.तौज़ीहुल मसाएले मराजे, मस’अला न. 345 व आयतुल्लाह ख़ामेनई, अजवेबतुल इस्तेफ़्ताआत, अहकामे ग़ुस्ले जिनाबत.
2.तौज़ीहुल मसाएले मराजे, जि.1,पे.208, मस’अला न. 346
3.अधिक जानकारी के लिए जिनाबते ज़नान, अंक 676 देखें
4.तौज़ीहुल मसाएल, इमामे ख़ुमैनी के हाशिये के साथ, जि.1,पे.214, मस’अला न. 357
5.यानी सोते में उसकी मनी (वीर्य) निकल जाये.
6.तौज़ीहुल मसाएल, इमामे ख़ुमैनी के हाशिये के साथ, जि.1,पे.215
7.देखें: जामे अब्बासी व तकमीले आन (हाशिया), जि.1,पे.10, शारेउन नजात फ़ी अह्कामिल इबादात, पे.32