जवाब
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
उसी वाजिब ज़िक्र की तकरार, और बेहतर यह है कि वह तक पर तमाम हो और सुजूद में इसके अलावा सलवात पढ़ना और दुनियावी और उखरवी हाजात के लिए दुआ करना भी मुस्तहब है.
हवाला: https://www.leader.ir/ur/book/106/
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
उसी वाजिब ज़िक्र की तकरार, और बेहतर यह है कि वह तक पर तमाम हो और सुजूद में इसके अलावा सलवात पढ़ना और दुनियावी और उखरवी हाजात के लिए दुआ करना भी मुस्तहब है.
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