जवाब
अगर ग़ुस्ले जेनाबत वाजिब नहीं है तो नमाज़ के लिए वुज़ू करना ज़रूरी है।
और मुस्तहब ग़ुस्ल के बाद भी नमाज़ के लिए वुज़ू करने के सिलसिले में आयतुल्लाह ख़ामेनई फ़रमाते हैं कि नमाज़ के लिए वुज़ू करना ज़रूरी है लेकिन आयतुल्लाह सीस्तानी के नज़दीक मुस्तहब ग़ुस्ल से नमाज़ पढ़ी जा सकती है