जवाब ( 1 )

  1. बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

    क़र्ज़ लेने वाले आदमी पर उस माल पर जो उसने बतौर क़र्ज़ लिया है ख़ुम्स नहीं है.इस से वह माल अलग है जिसे क़र्ज़ लेने वाला अपने साल के फायदे में ख़ुम्स की तारीख आने पर क़िस्तें अदा करने के लिए देता है.
    इस बिना पर अगर कुछ माल क़र्ज़ ले और साल से पहले उसे अदा न कर सके तो उसका ख़ुम्स निकालना वाजिब नहीं है, लेकिन अगर साल के फायदे में से क़िस्तें अदा करे और क़र्ज़ का असल माल ख़ुम्स की तारीख आने तक उसके पास ही रहे तो जितनी क़िस्तें उसने दी हैं उनका ख़ुम्स देना वाजिब है.
    जैसा कि हम ख़ुम्स के फायदे की बहस में पहले ही बता चुके हैं जो खर्चा होता है वो अलग है और उस पर ख़ुम्स नहीं होता.

    हवाला: फ़िक़्ही मसाएल का मजमूआ, बहस ख़ुम्स, आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी ख़ामेनई , मसला 1099

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