जवाब:
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
मुस्तहब है कि दिन की नाफ़िला नमाज़ को आहिस्ता और रात की नाफ़िला नमाज़ों को बुलंद आवाज़ से पढ़ा जाए.
हवाला: https://www.leader.ir/ur/book/106/
क्या नफ़्ल नमाज़ों को बुलंद आवाज़ से पढ़ा जाए या आहिस्ता आवाज़ से?
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
मुस्तहब है कि दिन की नाफ़िला नमाज़ को आहिस्ता और रात की नाफ़िला नमाज़ों को बुलंद आवाज़ से पढ़ा जाए.
हवाला: https://www.leader.ir/ur/book/106/