जवाब
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
अगर माँ बाप किसी का को अंजाम देने के लिए कहें और वह शरीयत के मुखालिफ भी न हो तो उसे ज़रूर करना चाहिए. अगर उनके हुक्म की इताअत न करना उनके लिए तकलीफ़ का सबब हो उनके हुक्म की मुख़ालेफ़त करना जाएज़ नहीं है.
हवाला: https://www.sistani.org/urdu/book/26352/4315/