जवाब
जी हां मुकल्लफ़ के लिए रोज़ाना पेश आने वाले मसअलों का सीखना ज़रूरी है यानि जिनके सीखे बिना रोज़ाना के शरई अहकाम को अंजाम न दिया जा सके जैसे नमाज़, रोज़े, तहारत (पवित्रता) और कुछ लेनदेन के मसअले। अगर अहकाम न सीखने की वजह से उससे वाजिब छूट जाए या कोई हराम काम अंजाम पा जाए तो वह गुनहगार है।
- मुकल्लफ़ उस इंसान को कहते हैं जिसमें इस्लामी अहकाम के वाजिब होने की शर्तें पाई जाती हों।