क्या ग़ुस्ल से पहले पूरे बदन का निजासत से पाक होना वाजिब है?


एक साहब का कहना है कि ग़ुस्ल से पहले बदन का निजासत से पाक होना वाजिब है. अगर मनी वग़ैरह से उसकी तत्हीर ग़ुस्ल के दौरान हो तो यह ग़ुस्ल के बातिल होने का सबब है. अगर उनकी बात सही है तो क्या मेरी पढ़ी गयीं नमाज़ें बातिल हैं? क्या उनकी क़ज़ा वाजिब है?
बता दूँ कि मैं इस मसले से बेख़बर था.

जवाब



बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
ग़ुस्ले जिनाबत से पहले पूरे बदन का पाक होना वाजिब नहीं है बल्कि बदन के हर हिस्से का उसके ग़ुस्ल से पहले पाक होना ज़रूरी है. इस सूरत में ग़ुस्ल और उसके बाद पढ़ी गई सब नमाज़ें दोनों सही हैं. अगर नजिस हिस्से को उसके ग़ुस्ल से पहले पाक न किया जाए और एक ही ही बार धोने के ज़रिये यह हिस्सा पाक भी हो जाए और ग़ुस्ल भी अंजाम पा जाए तो ग़ुस्ल बातिल है और इस ग़ुस्ल से पढ़ी गई नमाज़ें भी बातिल हैं और उनकी क़ज़ा वाजिब है.

हवाला: www.leader.ir/ur/book/106/ 

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