जवाबः
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
अगर आप क़र्ज़ देते हैं और यह शर्त लगाते हैं कि क़र्ज़ लेने वाला आपको हर महीने एक निर्धारित रक़म देता रहे तो यह ब्याज है और हराम है, लेकिन अगर आप किसी को मुकम्मल इख्तियार के साथ वकील बना दें कि वह आपके पैसों से आपके लिए काम करे और मिलने वाले मुनाफ़े में से कुछ आपको दे तो इसमें कोई हरज नहीं है।
हवाला: आयतुल्लाह ख़ामेनई की वेबसाइट www.khamenei.ir