जवाब
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
रोज़ाना पढ़ी जाने वाली नमाज़ (पंजगाना) में दूसरे मामूमीन के लिए एक नमाज़े जमाअत की दोबारा पढ़ाने में कोई हरज नहीं बल्कि मुस्तहब है, लें नमाज़े ईद की तकरार करने में इश्काल है.
हवाला : https://www.leader.ir/ur/book/106/
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
रोज़ाना पढ़ी जाने वाली नमाज़ (पंजगाना) में दूसरे मामूमीन के लिए एक नमाज़े जमाअत की दोबारा पढ़ाने में कोई हरज नहीं बल्कि मुस्तहब है, लें नमाज़े ईद की तकरार करने में इश्काल है.
हवाला : https://www.leader.ir/ur/book/106/