जवाब
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
बाप के क़ज़ा रौज़े और नमाज़ उस बड़े बेटे पर वाजिब हैं जो बाप की वफ़ात के वक़्त ज़िंदा हो. चाहे वह बाप की पहली औलाद और पहला बेटा भी न हो.
हवाला : https://www.leader.ir/ur/book/106/
अगर बड़ा बेटा बाप की ज़िंदगी में ही मर जाए तो बाप की क़ज़ा नमाज़ों का क्या हुक्म है?
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
बाप के क़ज़ा रौज़े और नमाज़ उस बड़े बेटे पर वाजिब हैं जो बाप की वफ़ात के वक़्त ज़िंदा हो. चाहे वह बाप की पहली औलाद और पहला बेटा भी न हो.
हवाला : https://www.leader.ir/ur/book/106/