जवाब:
शरीयत के हिसाब से आत्महत्या बहुत ही संगीन जुर्म है, इसे गुनाहे कबीरा और हराम क़रार दिया गया है. तमाम मराजे ए किराम का फत्वा है कि जिस तरह तमाम मुसलमानों की नमाज़ वाजिब है इसी तरह ख़ुदकुशी करने वाले की नमाज़े जनाज़ा भी वाजिब है. जिस तरह तमाम मुसलमानों के लिए इसाले सवाब करना जाएज़ है उसी तरह आत्महत्या करने वाले इंसान के लिए भी इसले सवाब करना, क़ुरआन ख्वानी और मजलिस करवाना जाएज़ है.
हवाला: आयतुल्लाह सीस्तानी की वेबसाइट
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